Wednesday, 14 September 2022

"जजों को धर्म के मामलों में न्यायविद नहीं बनना चाहिए" : हिजाब मामले पर SC में सुनवाई के दौरान हुई जबरदस्त बहस

 "जजों को धर्म के मामलों में न्यायविद नहीं बनना चाहिए" : हिजाब मामले पर SC में सुनवाई के दौरान हुई जबरदस्त बहस



याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील आदित्य सोंधी ने दलील दी कि एक छात्रा को सिर्फ इसलिए कि वह हिजाब पहनती है, एक कक्षा के अंदर अनुमति न देना भी अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है (राज्य जाति, लिंग, धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा ).


हिजाब पहनने पर उठे विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील आदित्य सोंधी ने दलील दी कि  मैं जस्टिस सच्चर समिति की रिपोर्ट के निष्कर्ष का उल्लेख करता हूं.  इसमें यह निष्कर्ष निकाला गया था कि हिजाब, बुर्का आदि पहनने की अपनी प्रथाओं के कारण मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का सामना कर रही थीं.  सोंधी ने नाइजीरियाई सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि लागोस के पब्लिक स्कूलों में हिजाब के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. सरकार के आदेश को आखिरकार स्कूलों पर छोड़ देना चाहिए.  इन परिस्थितियों में कौन सी सार्वजनिक व्यवस्था की समस्या पैदा होती है?  किसी आधार पर ही लड़कियों ने इसे पहना है. और कर्नाटक हाई कोर्ट के सरकार के आदेश को न केवल धर्म की स्वतंत्रता, शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन, बल्कि अनुच्छेद 15 का भी उल्लंघन है, जो भेदभाव है.  छात्रों को हिजाब पहनने या अपनी शिक्षा जारी रखने का अधिकार कैसे चुनने के लिए कहा जा सकता है? छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने का मतलब यह भी है कि उन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है. बता दें कि जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.

सोंधी- एक छात्रा को सिर्फ इसलिए कि वह हिजाब पहनती है, एक कक्षा के अंदर अनुमति न देना भी अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है (राज्य जाति, लिंग, धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा ). सोंधी ने डॉ अम्बेडकर का हवाला दिया- जिसमें कहा गया है कि बिना रोजगार वाले व्यक्ति को कम नौकरियों और अधिकारों वाली नौकरी चुनने के लिए मजबूर किया जा सकता है. बेरोजगारों को मौलिक अधिकारों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है.

जस्टिस धूलिया - डॉ. अम्बेडकर का उद्धरण यहां कैसे प्रासंगिक है?

सोंधी : एक नागरिक पर दो अधिकारों में से किसी एक को चुनने का बोझ नहीं होना चाहिए. यही वह स्थिति है जिसका सामना लड़कियां कर रही हैं.
वकील आदित्य सोंधी ने कहा - यह मामला भारत के लिए स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं के अधिकार से संबंधित था.  उस संदर्भ में कोर्ट ने माना कि जो सहज और तटस्थ प्रतीत होता है, उसका अप्रत्यक्ष रूप से एक समूह के साथ भेदभाव करने का प्रभाव हो सकता है और यदि ऐसा है, तो कोर्ट द्वारा इसका विरोध किया जाएगा . लॉ कॉलेज में मेरे ऐसी दोस्त हैं, जिन्होंने कभी हिजाब नहीं पहना.  यह अंततः व्यक्तिगत पसंद का मामला है, लेकिन यहां हम उन छात्रों के साथ काम कर रहे हैं, जो शायद परिवार में पहले शिक्षार्थी हों.  हमें सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखना होगा.

वकील सोंधी ने अमेरिका के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार को राज्य के हित में काम करने के दौरान धार्मिक मामले में न्यायोचित दिखाना चाहिए. अंतर-धार्मिक मतभेद हो सकते हैं, इसलिए तथ्य यह है कि कुछ लड़कियां न पहनने का विकल्प चुनती हैं, यह बात अलग है. 

- सोंधी- वास्तव में, कई लड़कियों को चुनाव करने के लिए मजबूर किया गया है, और उन्हें शिक्षा से बाहर कर दिया गया है.


- सोंधी ने नाइजीरिया के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ अंश पढ़े, जिसमें कहा गया है कि कुरान की आयतों में कहा गया है कि महिला मुसलमानों को अपने सिर को ढंकना चाहिए.

वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस शुरू की 

धवन: आवश्यक प्रथाओं पर, केरल हाईकोर्ट  और कर्नाटक हाईकोर्ट  के बीच मतभेद है.  केरल हाईकोर्ट इसे आवश्यक मानता है.

- हिजाब पहनने वाले व्यक्ति के साथ धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.
- पोशाक का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है.
-  एक और अधिकार है
- हिजाब पहनने वाले व्यक्ति के साथ धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.
- जब तक हम इस मामले को उसके सही परिप्रेक्ष्य में नहीं रखते.
- हम जानते हैं कि आज जो कुछ भी इस्लाम के रूप में आता है, उसे खारिज करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय में बहुत असंतोष है.
- हम देख सकते हैं कि गौ हत्या मामले में, अब 500 पूजा स्थलों पर मामले दाखिल किए गए हैं.
 -जस्टिस गुप्ता: आपको तथ्यों पर टिके रहना चाहिए 
  - धवन- मैं भेदभाव पर हूं.

धवन ने कहा कि दुनिया भर में हिजाब को वैध माना जाता है. तर्क हेडस्कार्फ़ के बारे में नहीं है. तर्क हिजाब को लेकर है. यह लिंग और धार्मिक अधिकारों पर फैसला करने का मामला है. कोर्ट ने पूछा क्या ऐसा सिर्फ स्कूल में हो रहा है?

धवन ने कहा- इसकी व्याख्या यह है कि यह परेशानी हर जगह हो रही है, पूरे भारत में..
धवन ने कहा -  यहां मसला ड्रेस कोड के जरिये स्कूल में अनुशासन का नहीं है.
कर्नाटक HC के फैसले के बाद अखबारों में लिखा गया कि हिजाब पर बैन लगाया गया न कि ड्रेस कोड को बरकरार रखा गया.

कोर्ट- अखबार जो लिखते नहीं है, वो कोर्ट की सुनवाई का विषय नहीं है
धवन -अखबार जो लिखते है, उससे पता चलता है कि आखिर असल मुद्दा क्या है. ये सिर्फ स्कूल में अनुशासन का विषय नहीं है.

धवन : यह विवाद डेवलपमेंट कमिटी की वजह से बढ़ा.
छात्राओं के साथ मारपीट की गई और उनके साथ भेदभाव किया गया. दरअसल मामला यही है. प्रिंसिपल ने भी गार्जियन से मिलने से इनकार कर दिया. 
आवश्यक धर्मों के अभ्यास पर धवन
 हम जो नहीं चाहते हैं, वह यह है कि अदालत हर धर्म हाई प्रीस्ट ना बने
बस पंडित बने और तय करें कि कानून क्या है

जस्टिस गुप्ता - अगर हम तय नहीं करेंगे तो कौन फैसला करेगा?
- अगर कोई मुद्दा आता है, तो कौन-सा मंच तय करेगा? 
- यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो कौन फैसला करेगा ?

धवन : क्या विवाद है
- क्या यह एक आवश्यक प्रथा है.
- यदि पूरे भारत में हिजाब का अभ्यास किया जाता है तो अदालत केवल यह देखेगी कि क्या यह एक वास्तविक प्रथा है.

धवन: यदि कोई काम किसी आस्था के सिद्धांतों के अनुसार किया जाता है, और प्रामाणिक है..तो हमें यह जांचना होगा कि यह प्रथा प्रचलित है या नहीं, और यह प्रथा दुर्भावनापूर्ण नहीं है.
धवन - जजों को  धर्म के मामलों में न्यायविद नहीं बनना चाहिए. 
- किसी भी बाहरी प्राधिकरण को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि ये धर्म के आवश्यक अंग नहीं है.
 -  यह राज्य के धर्मनिरपेक्ष प्राधिकरण के लिए प्रशासन की आड़ में उन्हें किसी भी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए खुला नहीं है.

कोर्ट ने राजीव धवन से पूछा कि क्या हिजाब इस्लाम मे एसेंशियल प्रैक्टिस है? 
राजीव धवन ने कहा कि हिजाब पूरे देश में पहना जाता है. यह इस्लाम में एक उचित और स्वीकार्य प्रैक्टिस है और बिजॉय एमेनुएल मामले में कोर्ट ने तय किया था कि अगर यह साबित होता है कि कोई प्रैक्टिस उचित और स्वीकार्य है तो उसे इजाजत दी जा सकती है.
धवन- दरअसल ये मामला हिजाब के खिलाफ अभियान को लेकर चलाए जा रहे कैंपेन को लेकर है.
धवन - सरकारी आदेश का कोई आधार नहीं है 
- ये मुसलमानों विशेष तौर पर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने के लिए है 
- धवन की दलीलें पूरी    


आवश्यक धर्मों के अभ्यास पर धवन
 हम जो नहीं चाहते हैं, वह यह है कि अदालत हर धर्म हाई प्रीस्ट ना बने
बस पंडित बने और तय करें कि कानून क्या है

जस्टिस गुप्ता - अगर हम तय नहीं करेंगे तो कौन फैसला करेगा?
- अगर कोई मुद्दा आता है, तो कौन-सा मंच तय करेगा? 
- यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो कौन फैसला करेगा ?

धवन : क्या विवाद है
- क्या यह एक आवश्यक प्रथा है.
- यदि पूरे भारत में हिजाब का अभ्यास किया जाता है तो अदालत केवल यह देखेगी कि क्या यह एक वास्तविक प्रथा है.

धवन: यदि कोई काम किसी आस्था के सिद्धांतों के अनुसार किया जाता है, और प्रामाणिक है..तो हमें यह जांचना होगा कि यह प्रथा प्रचलित है या नहीं, और यह प्रथा दुर्भावनापूर्ण नहीं है.
धवन - जजों को  धर्म के मामलों में न्यायविद नहीं बनना चाहिए. 
- किसी भी बाहरी प्राधिकरण को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि ये धर्म के आवश्यक अंग नहीं है.
 -  यह राज्य के धर्मनिरपेक्ष प्राधिकरण के लिए प्रशासन की आड़ में उन्हें किसी भी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए खुला नहीं है.

कोर्ट ने राजीव धवन से पूछा कि क्या हिजाब इस्लाम मे एसेंशियल प्रैक्टिस है? 
राजीव धवन ने कहा कि हिजाब पूरे देश में पहना जाता है. यह इस्लाम में एक उचित और स्वीकार्य प्रैक्टिस है और बिजॉय एमेनुएल मामले में कोर्ट ने तय किया था कि अगर यह साबित होता है कि कोई प्रैक्टिस उचित और स्वीकार्य है तो उसे इजाजत दी जा सकती है.
धवन- दरअसल ये मामला हिजाब के खिलाफ अभियान को लेकर चलाए जा रहे कैंपेन को लेकर है.
धवन - सरकारी आदेश का कोई आधार नहीं है 
- ये मुसलमानों विशेष तौर पर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने के लिए है 
- धवन की दलीलें पूरी    

याचिकाकर्ताओं की ओर से हुजेफा अहमदी 
-  वैध राज्य हित क्या है? 
- वैध राज्य हित शिक्षा को प्रोत्साहित करने में है, खासकर नाबालिगों के बीच
- उसका हित ऐसी नीति बनाने में नहीं है जिसमें बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़े

-अहमदी ने नियम 11 को पढ़ा जिसमें कहा गया है कि ड्रेस को 5 साल तक नहीं बदला जाएगा और ड्रेस में बदलाव को एक साल पहले ही निर्धारित किया जाना चाहिए. हिजाब को प्रतिबंधित करने की कोई शक्ति इसमें नहीं दी गई है. उन्‍होंने कहा कि  राज्य को देखना होगा कि जनहित कहाँ है?  अनुशासन लागू करने में या शिक्षा को बढ़ावा देने में?  यदि सर्कुलर एक समुदाय को टारगेट करता है तो यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. 

अहमदी : हाईकोर्ट के इस फैसले का असर फैसले के बाद ही देखा जा सकता है.

 जस्टिस धूलिया: फैसला मार्च 2022 का है, और क्या इसका असर हुआ है 

अहमदी : पीयूसीएल की रिपोर्ट आ गई है.

जस्टिस धूलिया : हम नहीं जानते कि यह रिपोर्ट कितनी प्रामाणिक है

अहमदी : हाईकोर्ट के इस फैसले का असर फैसले के बाद ही देखा जा सकता है.

 जस्टिस धूलिया: फैसला मार्च 2022 का है, और क्या इसका असर हुआ है 

 अहमदी : पीयूसीएल की रिपोर्ट आ गई है.

जस्टिस धूलिया : हम नहीं जानते कि यह रिपोर्ट कितनी प्रामाणिक है.

जस्टिस धूलिया : क्या आपके पास ड्रॉप आउट छात्रों के प्रामाणिक आंकड़े हैं?



अहमदी : मेरे साथी ने 17000 छात्रों को परीक्षा से बाहर रहने की सूचना दी है.

अहमदी- यहां एक समुदाय है जहां कुछ छात्रो ने  रूढ़ियों को तोड़ने में कामयाब हुए थे और स्कूल जाना शुरू कर दिया था. अधिक से अधिक छात्रों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए. ये नियम उन्हें वापस धार्मिक शिक्षा में भेजने का होगा.
हुजैफा अहमदी ने अपनी बहस पूरी की.कल भी सुनवाई जारी रहेगी.

Sunday, 11 September 2022

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लापता मशहूर YouTuber Bindass Kavya इटारसी स्टेशन पर ट्रेन में मिली

 

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लापता मशहूर YouTuber Bindass Kavya इटारसी स्टेशन पर ट्रेन में मिली



Bindass Kavya Latest News: इटारसी, नवदुनिया प्रतिनिधि। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से लापता हुई यूट्यूबर ‘बिंदास’ काव्या को इटारसी में रेलवे पुलिस ने ट्रेन से बरामद किया है। रेलव पुलिस को कंट्रोल रूम से मैसेज मिला था जिसके बाद वह सक्रिय हुई। शनिवार देर रात काव्या के स्वजन उसे लेने के लिए इटारसी पहुंचे और उसे लेकर वापस रवाना हो गए।

जीआरपी के अनुसार किसी बात पर नाराज होकर काव्या महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित अपने घर से लापता हो गई थी। बेटी के गुम होने से फ्रिकमंद उसके माता पिता ने उसकी तलाश में एक वीडियो जारी किया था। साथ ही महाराष्ट्र पुलिस को भी खबर दी थी। पुलिस ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाकर इटारसी स्टेशन स्थित जीआरपी थाने को संदेश दिया, जिसके बाद उसे यहां ट्रेन से सुरक्षित उतार लिया गया।

जानकारी के मुताबिक काव्‍या अपने परिवार के साथ औरंगाबाद में रहती है। वे लोग मूलत: उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। काव्‍या घर से निकलकर लखनऊ की ओर जाने वाली ट्रेन में सवार हो गई थी। उसे इटारसी स्‍टेशन पर उतार लिया गया। गौरतलब है कि काव्या एक मशहूर यूट्यूबर है। यूट्यूब चैनल पर उसके 43 लाख सब्सक्राइबर्स हैं। फेसबुक पर भी उसकी अच्छी फॉलोइंग है। काव्या के पेज और चैनल पर उसकी मां अनु यादव ने एक वीडियो संदेश जारी कर उसके बारे में जानकारी देने की गुहार लगाई थी। इंटरनेट मीडिया पर उसके शुभचिंतक और फॉलोवर्स उसके मिलने की प्रार्थना कर रहे थे। महाराष्ट्र का हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण पुलिस एक्शन में आ गई।

Monday, 5 September 2022

India vs Pakistan, Asia Cup 2022 Highlights: PAK beat IND by 5 wickets in thriller for the ages

 

India vs Pakistan, Asia Cup 2022 Highlights: PAK beat IND by 5 wickets in thriller for the ages



  • India vs Pakistan, Asia Cup 2022 Super 4 Highlights: A see-saw match that went down to the penultimate ball ended in Pakistan's favour as they chased down a target of 182.

India vs Pakistan, Asia Cup 2022, Super 4, Highlights: Pakistan on Sunday defeated India by five wickets in a thrilling Asia Cup Super-4 clash at the Dubai International Stadium

India vs Pakistan, Asia Cup 2022, Super 4, Highlights: Chasing a target of 182, Mohammad Rizwan smashed 71 off 51 balls to propel Pakistan to a five-wicket win over India in an Asia Cup Super-4 clash at the Dubai International Stadium. Pakistan had got off to a shaky start after Babar Azam (14) was dismissed in the fourth over by Ravi Bishnoi. Fakhar Zaman too failed to leave his mark as he was dismissed on a score of 15 by Yuzvendra Chahal. Rizwan and Mohammad Nawaz then stitched a crucial partnership, adding 84 runs for the third wicket. Both Rizwan and Nawaz (41) were dismissed in quick succession by Bhuvneshwar Kumar and Hardik Pandya, respectively. With Pakistan needing 26 off the last two overs, Bhuvneshwar leaked 19 runs in the penultimate over as the match slipper away from India's grasp. Earlier, Virat Kohli starred with the bat as India posted a strong total of 181 for seven in 20 overs against Pakistan in the ongoing Asia Cup Super-4 clash. Pakistan have started off strong in the chase, with Rizwan hitting the first ball for a boundary and Babar Azam also finding the boundary in the first over. Kohli hit a brilliant 60 off just 44 balls, hitting four boundaries and six. Kohli crossed the 50-run mark creaming a six over deep midwicket. He eventually got run out after a direct hit from the deep by Asif Ali. Rohit Sharma and KL Rahul had earlier given a strong start, collecting 54 runs in the first five overs. However, India lost an array a wickets, which slowed down their momentum in the middle overs. Ravi Bishnoi struck two important boundaries, but got a helping hand from Fakhar Zaman, as India ended their innings on a positive note. Earlier, Pakistan had won the toss and opted to bowl.

Sunday, 4 September 2022

बदायूं की मस्जिद पर ज्ञानवापी जैसा दावा:हिंदू पक्ष ने कहा- महादेव का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई; कोर्ट ने याचिका स्वीकार की.

बदायूं की मस्जिद पर ज्ञानवापी जैसा दावा:हिंदू पक्ष ने कहा- महादेव का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई; कोर्ट ने याचिका स्वीकार की.



उत्तर प्रदेश में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद बदायूं की जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शुक्रवार को बदायूं सिविल कोर्ट में इसे लेकर याचिका दाखिल की है। कोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर ली है। इस पर सुनवाई 15 सिंतबर को होगी।

कोर्ट ने जामा मस्जिद इंतजामिया समिति, सुन्नी वक्फ बोर्ड, पुरातत्व विभाग, केंद्र सरकार, यूपी सरकार, बदायूं जिला मजिस्ट्रेट और प्रमुख सचिव को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि हिंदू पक्ष के पास याचिका के समर्थन में कोई सबूत नहीं हैं।

हिंदू पक्ष का दावा- नीलकंठ महादेव मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाई
याचिकाकर्ता और अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल से दैनिक भास्कर से बात की। उन्होंमें दावा किया, "बदायूं की जामा मस्जिद परिसर हिंदू राजा महीपाल का किला था। मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है। साल 1175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुगल शासक शमसुद्दीन अल्तमश ने इसे ध्वस्त करके जामिया मस्जिद बना दिया। यहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था।"

हिंदू पक्ष के वकील बोले- गवर्नमेंट गजेटियर में इसके सबूत
हिंदू पक्ष के वकील वेद प्रकाश साहू ने बताया, "गवर्नमेंट का गजेटियर साल 1986 में प्रकाशित हुआ था। इसमें अल्तमश ने मंदिर की प्रकृति बदलने का जिक्र किया है।" याचिका में पहल पक्षकार भगवान नीलकंठ महादेव को बनाया गया है। साथ ही दावा करने वालों में मुकेश पटेल, वकील अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश, डॉ. अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा शामिल हैं।



मुस्लिम पक्ष ने कहा- मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है
इंतजामिया कमेटी के सदस्य असरार अहमद मुस्लिम पक्ष के वकील हैं। उन्होंने कहा, "जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था। कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है, जिसमें यह मेंशन हो कि यहां मंदिर था। यह मुस्लिम पक्ष की इबादतगाह है। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। उन लोगों ने भी मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल नहीं किया है।"

Friday, 2 September 2022

मुस्लिम डिलीवरी ब्यॉय ना भेजें' खाना ऑर्डर करते ही कस्टमर ने लिखा मैसेज


मुस्लिम डिलीवरी ब्यॉय ना भेजें' खाना ऑर्डर करते ही कस्टमर ने लिखा मैसेज

एक अन्य ने भी कुछ ऐसा ही लिखा था

वहीं एक अन्य घटना में ही हैदराबाद में ही एक स्विगी कस्टमर ने उस खाने को लौटा दिया जो एक मुस्लिम डिलीवरी ब्यॉय उसके लिए लाया था। कस्टमर ने दावा किया कि उसने डिलीवरी निर्देश में स्पष्ट रूप से लिखा था कि बहुत कम मसालेदार हो और हिंदू डिलीवरी शख्स का चयन करें। सभी रेटिंग इसी पर आधारित होंगी।


फिलहाल इन मामलों में स्विगी का जवाब सामने नहीं आया है। बता दें कि हैदराबाद में स्विगी और जोमैटो दो प्रसिद्ध फूड एग्रीगेटर हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने भोजन के लिए इन पोर्टलों पर निर्भर हैं। लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जब ग्राहकों के अजीबोगरीब फरमान विवाद को जन्म देते हैं। डिलीवरी ब्यॉय ना भेजें' खाना ऑर्डर करते ही कस्टमर ने लिखा मैसेज.



कस्टमर ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी सर्विस स्विगी में खाना ऑर्डर किया और साथ में मैसेज लिखा कि मुस्लिम शख्स के हाथ से खाना ना भेजें। कस्टमर की इस रिक्वेस्ट का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है।


ऑनलाइन फूड डिलीवरी में सबसे ज्यादा मेहनत डिलीवरी ब्वॉय को ही करनी पड़ती है लेकिन कई बार उनके साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं देखने को मिलती हैं। ऐसा ही एक मामला हैदराबाद से सामने आया है जहां एक शख्स ने अपना फूड ऑर्डर करने के बाद स्विगी को मैसेज किया कि डिलीवरी ब्वॉय मुस्लिम नहीं होना चाहिए। इस मैसेज का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया में वायरल हो गया।

कस्टमर के मैसेज का एक स्क्रीनशॉट वायरल
दरअसल, यह घटना तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद की बताई जा रही है। यहां के एक कस्टमर ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी सर्विस स्विगी में खाना ऑर्डर किया और साथ में मैसेज लिखा कि मुस्लिम शख्स के हाथ से खाना ना भेजें। कस्टमर की इस रिक्वेस्ट का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे शेयर कर रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं।

ऐसे संदेशों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
घटना के सामने आने के बाद, तेलंगाना स्टेट टैक्सी एंड ड्राइवर्स जेएसी के अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए ट्विटर पर स्विगी से ऐसे संदेशों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने लिखा कि ऐसी रिक्वेस्ट के खिलाफ एक स्टैंड लें। डिलीवरी वर्कर यहां सभी को खाना पहुंचाने के लिए हैं, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख हों।



एक अन्य ने भी कुछ ऐसा ही लिखा था
वहीं एक अन्य घटना में ही हैदराबाद में ही एक स्विगी कस्टमर ने उस खाने को लौटा दिया जो एक मुस्लिम डिलीवरी ब्यॉय उसके लिए लाया था। कस्टमर ने दावा किया कि उसने डिलीवरी निर्देश में स्पष्ट रूप से लिखा था कि बहुत कम मसालेदार हो और हिंदू डिलीवरी शख्स का चयन करें। सभी रेटिंग इसी पर आधारित होंगी।

फिलहाल इन मामलों में स्विगी का जवाब सामने नहीं आया है। बता दें कि हैदराबाद में स्विगी और जोमैटो दो प्रसिद्ध फूड एग्रीगेटर हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने भोजन के लिए इन पोर्टलों पर निर्भर हैं। लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जब ग्राहकों के अजीबोगरीब फरमान विवाद को जन्म देते हैं।

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