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Monday, 30 August 2021

दिल्ली दंगों की जांच को लेकर बोली अदालत – बेवजह लोग जेलों में सज़ा काट रहे

दिल्ली दंगों की जांच को लेकर बोली अदालत – बेवजह लोग जेलों में सज़ा काट रहे



पिछले वर्ष नागरिकता कानून के बाद देश की राजधानी दिल्ली में भड़की हिं’सा को लेकर गिरफ्तार किए लोग अब भी जे’लों में सज़ा काट रहे है। जिसको लेकर एक अदालत ने दिल्ली पु’लिस को कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल अदालत ने इससे जुड़े मामलों की जांच का स्तर बेहद ही घटिया करार दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव ने अशरफ अली नाम के एक शख्‍स पर 25 फरवरी, 2020 को सांप्रदायिक दं’गे के दौरान पुलिस अधिकारियों पर कथित रूप से तेजा’ब, कांच की बोतलें और ईंटें फेंकने को लेकर आरोप तय करते हुए यह टिप्पणी की।

उन्होने कहा, दं’गे के बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड बहुत ही घटिया है, इसमें दिल्ली पु’लिस आयुक्त के दखल की जरूरत है। जज ने आगे कहा, कई मामलों में जांच अधिकारी अदालतों में पेश नहीं हो रहे हैं जिसकी वजह से कई बेकसूर भी सालभर से सलाखों के पीछे पड़े हैं।

एएसजे ने अपने आदेश में कहा, ‘यह मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है। यहां पीड़ित स्वयं ही पु’लिसकर्मी हैं, लेकिन जांच अधिकारी को तेजाब का नमूना इकट्ठा करने और उसका रासायनिक विश्लेषण कराने की परवाह नहीं है। जांच अधिकारी ने चोट की प्रकृति को लेकर राय भी लेने की जहमत नहीं उठाई है।’

जज ने आईओ को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अभियोजकों को आरोपों पर बहस के लिए ब्रीफ नहीं कर रहे हैं और सुनवाई की सुबह उन्हें चार्जशीट की पीडीएफ केवल ई-मेल कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में आदेश की प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजने का निर्देश दिया है ताकि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें और उचित निर्देश दें।

सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने आगे कहा कि यह उचित समय है कि उत्तर-पूर्वी जिले के डीसीपी और अन्य उच्च अधिकारी उनके द्वारा की गई टिप्पणियों पर ध्यान दें और मामलों में आवश्यक कार्रवाई करें। वे इस संबंध में विशेषज्ञों की सहायता लेने के लिए स्वतंत्र हैं, ऐसा न करने पर इन मामलों में शामिल व्यक्तियों के साथ अन्याय होने की संभावना है।

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